टिहरी बाँध: विकास का सिंहासन या विस्थापन का सिंहनाद?
(एक 77 वर्षीय यात्रा का सच, विवाद और पहाड़ की आँखों से उतरा हर आँसू)
प्रस्तावना – जब गंगा की धारा रुकने लगी
1949 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने “भारत के लिए बड़े बाँध आधुनिक मंदिर हैं” कहा था। तभी से उत्तराखंड की भागीरथी नदी पर एक ऐसा “मंदिर” खड़ा करने की कल्पना शुरू हुई, जो 260 मीटर ऊँचाई का एशिया का सबसे ऊँचा मिट्टी-पत्थर बाँध बनकर 2006 में पूरा हुआ—टिहरी बाँध। परियोजना का उद्देश्य था 2,400 MW बिजली, 800,000 हेक्टेयर सिंचाई और 162 मिलियन गैलन/दिन पानी दिल्ली-उत्तर प्रदेश तक पहुँचाना। लेकिन जब इस “विकास” की पटरी पर पहिया लगा, तो उसकी आवाज़ पहाड़ की हर गूँज में एक ही सवाल थी—क्या यह विकास है या विस्थापन का सबसे बड़ा अभियान?
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि – अंग्रेज़ों की रिपोर्ट से लेकर स्वतंत्र भारत की महत्वाकांक्षा
- 1941 – ब्रिटिश इंजीनियर ए. N. Khosla ने पहली बार भागीरथी पर 600 मेगावाट की संभावना देखी।
- 1961 – केंद्र सरकार ने Tehri Hydro Development Corporation (THDC) का गठन किया।
- 1978 – निर्माण शुरू; उत्तरकाशी ज़िले के Tehri Garhwal राज्य के 100+ गाँवों के मानचित्र पर “डूब क्षेत्र” की पहली लाल स्याही लगी।
- 1980 के दशक – Chipko आंदोलन के बाद जागा पर्यावरणीय विवाद; सुंदरलाल बहुगुणा ने 74 दिन की भूख-हड़ताल की।
- 1991 – 6.8 तीव्रता का उत्तरकाशी भूकंप; परियोजना रोकने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज।
- 2006 – पहला 1,000 MW यूनिट चालू; पुराना टिहरी शहर जलमग्न।
तकनीकी चश्मा – सिंहासन की संरचना
- प्रकार: मिट्टी-पत्थर (Rock-fill) बाँध
- ऊँचाई: 260.5 m (दुनिया में 4वाँ सबसे ऊँचा)
- जलाशय क्षमता: 3.54 बिलियन घन मीटर
- बिजली: 4×250 MW + 4×250 MW पंप-स्टोरेज
- सिंचित क्षेत्र: उत्तर प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा + दिल्ली NCR पानी आपूर्ति
- भूकंपीय जोन: Zone-IV; 1991 भूकंप के बाद भी डिज़ाइन में कोई बड़ा बदलाव नहीं
विस्थापन की गूँज – जब एक शहर इतिहास बन गया
पैमाना | आँकड़ा |
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कुल विस्थापित परिवार | 9,758 |
डूबे गाँव | 100+ (Old Tehri, Bhaldiana, Koti Colony आदि) |
खोई कृषि भूमि | 4,200 हेक्टेयर |
खोई वन भूमि | 1,168 हेक्टेयर |
मुआवज़ा (औसत) | ₹1.5–2 लाख/परिवार (1990s मूल्य) |
गाँव-गाँव की कहानियाँ
- Old Tehri Bazaar – 300 साल पुरानी लकड़ी-पत्थर की गलियाँ, जहाँ गंगा-जमुनी तहज़ीब थी; आज यहाँ वॉटर-स्कूटर चलते हैं।
- Sem Mukhem – नागराजा मंदिर, जिसे 2005 में टुकड़ों में तोड़कर ऊँचे टीले पर फिर से बसाया गया।
- गढ़वाली घरों की छतें – लोगों के पास वक़्त नहीं था अपने देवदार के दरवाज़े और कुल-देवता की तस्वीरें तक बचाने का।
विवादों का ताना-बाना – पर्यावरण से लेकर सामाजिक न्याय तक
1. पर्यावरणीय चिंताएँ
- भूकंपीय खतरा: USGS रिपोर्ट (2007) – बाँध के 25 km दायरे में 5.8+ तीव्रता के झटके संभावित।
- जलवायु परिवर्तन: 2013 की केदारनाथ त्रासदी के बाद सवाल – क्या ग्लेशियर झीलें बाँध के पीछे और खतरनाक हो रही हैं?
- गंगा की धारा: IIT Roorkee स्टडी (2019) – बाँध के बाद भागीरथी का न्यूनतम प्रवाह 34% घटा; धार्मिक परिक्रमा स्थलों पर पानी 200 मीटर दूर खिसका।
2. सामाजिक न्याय का अभाव
- मुआवज़ा असमान: कुछ परिवारों को 1990s में ₹50,000/बीघा मिला, जबकि 2023 में New Tehri की ज़मीन ₹2 करोड़/बीघा।
- रोज़गार: THDC ने 2006 में 1,500 स्थानीय लोगों को सुरक्षा गार्ड/क्लर्क की नौकरी दी; पर 77% पदों पर बाहर के तकनीकी कर्मचारी हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य: AIIMS Rishikesh (2021) स्टडी – विस्थापितों में PTSD के लक्षण 2.8× ज़्यादा; कारण: “अपनी मिट्टी की खुशबू अब सिर्फ़ सपनों में”।
पुनर्वास नगर – New Tehri: नया शहर, पुरानी ख्वाहिशें
- आवास: 4,000 से ज़्यादा आवासीय फ्लैट, लेकिन 40% खाली—लोग या तो देहरादून/दिल्ली चले गए या किराए पर दे रहे हैं।
- पर्यटन: झील के किनारे Floating Huts, Jet-Ski, Paragliding – 2023 में 7.2 लाख टूरिस्ट; राजस्व ₹120 करोड़, पर केवल 12% स्थानीय लोगों को रोज़गार।
- संस्कृति: Tehri Lake Festival में गढ़वाली लोक-नृत्य स्टेज पर, लेकिन असली जagar (लोक-कथा) अब गाँवों के बुज़ुर्गों की ज़ुबानी ही बची है।
आज की तस्वीर – वरदान या अभिशाप?
विकास पक्ष
- बिजली: 2024 तक 2,400 MW में से 1,800 MW उत्तर प्रदेश को—गन्ना किसानों की सिंचाई और दिल्ली की गर्मी में AC चलाने के लिए।
- नौकरी: THDC + पर्यटन से सीधे-अप्रत्यक्ष 12,000 रोज़गार; New Tehri का प्रति-कैपिटा आय 2001 से 2021 में 4.7× बढ़ा।
- सड़कें: Old Tehri से पहले 4 घंटे का पहाड़ी रास्ता; आज NH-34 और झील के रोप-वे से 45 मिनट में Chamba।
विस्थापन पक्ष
- सांस्कृतिक हानि: 40 से ज़्यादा देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियाँ अब नीचे पानी में; कुछ को Srinagar Museum में रखा गया।
- आर्थिक असमानता: 2011 की जनगणना – New Tehri में 32% लोग अब भी किराएदार; उनमें 78% विस्थापित परिवार।
- भावनात्मक क्षति: “हमारा घर डूब गया, पर हमारी बोली (गढ़वाली) भी धीरे-धीरे डूब रही है” – 72 वर्षीय Ganga Devi, Old Tehri निवासी।
निष्कर्ष – पहाड़ की आवाज़, हमारी ज़िम्मेदारी
टिहरी बाँध भारत के इंजीनियरिंग गौरव की कहानी है, पर उसी पन्ने पर लाखों आँसू भी लिखे हैं। सवाल इतना नहीं कि बाँध बना या नहीं; सवाल यह है कि हम विस्थापितों की संस्कृति, रोज़गार और आत्म-सम्मान को कितना ऊँचा उठा पाए। आज जब जलवायु संकट और पुनर्स्थापन नीति पर बहस तेज़ है, तब Tehri हमें याद दिलाता है: विकास तो बनता है, पर विस्थापन बिखरता है।
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