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उत्तराखंड पर्वतीय निवेश की अनदेखी | Taklakot Border Trade

क्या उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों को निवेश से जानबूझकर दूर रखा जा रहा है? | From the Hills Investment Disparity in Uttarakhand

क्या उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों को निवेश से जानबूझकर दूर रखा जा रहा है?

उत्तराखंड में हाल ही में आयोजित 'उत्तराखंड निवेश उत्सव' से विकास की उम्मीदें जगी हैं। लेकिन क्या ये उम्मीदें पहाड़ों तक पहुँचेंगी या फिर से मैदानों में ही सिमट जाएंगी?

पहाड़ के सवाल: विकास से कटे क्यों हैं हम?

पिथौरागढ़, चंपावत, उत्तरकाशी, टिहरी जैसे ज़िले आज भी औद्योगिक आधारभूत संरचना और रोज़गार के अभाव से जूझ रहे हैं।

क्या सरकार की योजना में पर्वतीय उत्तराखंड है ही नहीं?

नीति निर्माण की सोच मैदानी केंद्रित है। पहाड़ केवल पर्यटन स्थल बनकर रह गए हैं। जबकि यहाँ के पास जैविक खेती, जड़ी-बूटी, संस्कृति और कारीगरी का खजाना है।

सीमा व्यापार: खोया हुआ अवसर

23 जुलाई से चीन और नेपाल के बीच व्यापार शुरू हो रहा है, लेकिन भारत अभी प्रतीक्षा में है।

नेपाल के 184 व्यापारी इसमें भाग ले रहे हैं जबकि भारत नीति विहीनता में उलझा है। पिथौरागढ़ जैसे क्षेत्र पूरी तरह दरकिनार हो गए हैं।

विकास का वह हिस्सा जो अनदेखा रह गया

हर निवेश सम्मेलन में निवेश मैदानी ज़िलों तक सीमित रह जाता है — हरिद्वार, रुद्रपुर, देहरादून। क्या यह राज्य केवल मैदानों का है?

समाधान की बात करें तो...

  • सीमा व्यापार नीति बनाना
  • बायो-इकोनॉमी क्लस्टर का निर्माण
  • लघु सिडकुल मॉडल हर मंडल में
  • गांवों तक कनेक्टिविटी और तकनीक

निष्कर्ष: पर्वतीय उत्तराखंड को प्रतीक्षा से मुक्त करना होगा

घोषणाओं से आगे बढ़ते हुए अब नीति, पूंजी और क्रियान्वयन पहाड़ों तक लाने का समय आ गया है। नहीं तो उत्तराखंड का विकास अधूरा ही रहेगा।

लेखक: From the Hills Editorial Team

टैग्स: #UttarakhandDevelopment #InvestmentGap #PolicyMatters #MountainNeglect #UttarakhandNews

प्रकाशित: 21 जुलाई 2025

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