उत्तराखंड UCC 2025 में उत्तराधिकार नियम क्या कहते हैं?

अगर आप सोच रहे हैं कि "Uniform Civil Code" यानी समान नागरिक संहिता के तहत उत्तराधिकार यानी संपत्ति में हिस्सेदारी कैसे तय होगी, तो उत्तराखंड UCC 2025 के नए नियमों ने इस विषय को बेहद साफ और निष्पक्ष बना दिया है।
🔍 अब तक क्या होता था?
भारत में उत्तराधिकार के नियम धर्म के अनुसार चलते थे — हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, मुस्लिम पर्सनल लॉ, ईसाई उत्तराधिकार अधिनियम आदि। इससे समानता में खलल पड़ता था और महिलाओं को अक्सर कम अधिकार मिलते थे।
📜 UCC 2025 में उत्तराधिकार को लेकर क्या नया है?
- ⚖️ सभी नागरिकों के लिए एक समान उत्तराधिकार कानून लागू होगा — धर्म, जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बिना।
- 👩👧👦 बेटियों और बेटों को समान संपत्ति अधिकार मिलेंगे, चाहे बेटी विवाहित हो या अविवाहित।
- 👵 माता और पत्नी को उत्तराधिकार में संरक्षित अधिकार मिलेंगे — अब हर वर्ग की महिला को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।
- 🏠 लिव-इन रिलेशनशिप अगर पंजीकृत है, तो उसमें भी उत्तराधिकार के समान अधिकार लागू होंगे।
- 👶 गोद लिए गए बच्चों और अनाथों को भी उत्तराधिकार मिलेगा — इंसानियत को प्राथमिकता।
- 📝 वसीयत बनाने का अधिकार रहेगा लेकिन पारिवारिक उत्तराधिकार को न्यूनतम हानि न हो, इसका ध्यान रखा जाएगा।
🎯 इसका समाज पर असर
UCC 2025 के ये प्रावधान महिला सशक्तिकरण, धर्म-निरपेक्ष न्याय, और समाज में संतुलन को बढ़ावा देंगे। अब कोई भी व्यक्ति बेटा-बेटी, धर्म या विवाह की स्थिति के आधार पर संपत्ति के अधिकार से वंचित नहीं रहेगा।
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🗣️ निष्कर्ष:
उत्तराधिकार का यह नया ढांचा अब समाज के हर व्यक्ति को बराबरी का हक देता है। यह सिर्फ कानून में बदलाव नहीं, बल्कि सोच में क्रांति है।
📣 आपकी क्या राय है इस बदलाव पर? नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।
✍ लेखक: From the Hills Editorial Team
📚 प्रकाशित: From the Hills
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