क्या सच में उत्तराखंड के युवाओं के पास काम नहीं है?

क्या सच में उत्तराखंड के युवाओं के पास काम नहीं है?



उत्तराखंड राज्य विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों से परिपोषित है यहां के हर तरह के भोगोलिक वातावरण में कुछ न कुछ विशेषता भरी पड़ी हैं। देखा जाय तो यहाँ अभाव यदि किसी प्रकार का है तो वह है परिस्थितियों से लड़कर अपने रास्ते खुद बनाने वाले लोगों का।


दिन पर दिन पलायन की मार के चलते पहाड़ों की जड़ें खोखली हो चुकी हैं। यदि इन पहाड़ों की हरी भरी वादियों में कमी है तो उन लोगों की जो इसकी विशाल धरोहरों को छोड़ कर शहरों में जा बसे हैं। इसके लिए अगर जागरूक हो कर यहाँ की खेती और लघु उद्योगों पर कार्य किया जाय तो यह पहाड़ फिर से आबादी की फसलों से लहलहा उठेंगे। इस तरफ कई युवा भी प्रयास करते आ रहे है। यहां की आबोहवा स्वास्थ्य, शिक्षा व खेती के लिए सदा ही अनुकूल रही है। तभी तो अंग्रेजों से भी पहाड़ अछूते नही रहे क्योंकि उन्होंने इसके गूढ़ रहस्य को जान लिया था। बेशक यहाँ साधनों की कमी रही है किन्तु उन्हें सामाजिक सहायता एवं सरकारी सहायता से दूर लिया जा सकता है। यहाँ विभिन्न प्रकार के क्रियाकलापों से स्थानीय लोगों को रोजगारपरक अवसर प्रदान किये जा सकते हैं।

लघु तथा कुटीर उद्योगों का विस्तार


सार्वजनिक क्षेत्र में छोटे-छोटे उद्योगों का निर्माण कर उन पर फलों सब्जियों व बीजों का विपणन कर यहाँ के पहाड़ों में रोजगार को जन्म दिया जा सकता हैं। पहाडों के सभी क्षेत्र अपने प्रसिद्ध फलों के लिए जाने जाते हैं। यदि लोगों को अचार, जैम मुरब्बा, स्क्वैश जूश आदि का निर्माण करने तथा उसके व्यपार करने की शिक्षा दी जाय तो पहाड़ी इलाकों से पलायन जैसे रोग को भी रोक जा सकता है साथ ही अच्छी आमदनी भी लोग पा सकते हैं। इसके अलावा यदि पहाड़ के जंगलों में पाए जाने वाले रिंगाल व बांस की टोकरी, झूले, कुर्सियां, डोगे, चटाई  व भीमल और जूट की रस्सियों को बनाने का काम भी ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार ला सकता है। यह टोकरियाँ, रस्सियां और सोफे स्थानीय बाजारों से लेकर बड़े बाजारों में भी अच्छे दामों में बिकती हैं। इसके साथ ही खेती में बदलाव करके दलहनी फसलों और सब्जियों का उत्पादन करके किसान मुनाफा कमा सकता है।  इसके अलावा घरों में हथकरघा उद्योग चला कर भी ग्रामीण इलाकों में लोगों को काम दिलाया जा सकता है इसके अलावा गर्म ऊन के वस्त्रों का निर्माण करके भी ग्रामीणों को काम दिलाया जा सकता है। साथ ही लघु स्तर पर घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देकर भी पहाड़ो पर घरेलू तौर पर काम किया जा सकता है। इसके साथ ही कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने की पहल से भी पहाडों पर कई सारे उद्योग निर्माण किये जा सकते हैं जिनमें 
पहाड़ो पर विशेष तरह के तापमान और विभिन्न स्थलों की अपनी अलग जलवायु होने के कारण यहां आलू गोभी मटर सोयाबीन उड़द, सरसों इत्यादि की खेती करके आलू से चिप्स, व सरसों के तेल का निर्माण भी यहां पर किया जा सकता है। इसके साथ ही कुटीर उद्योगों में दियासलाई बनाने मिट्टी से निर्मित घड़े सुराही के साथ पहाडों में पाई जाने वाली लकड़ी के भी द्वारा भी कई उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जा सकता है जो न केवल उत्तराखंड में ही सफलता पूर्वक निर्यात होंगी बल्कि पूरे देश भर में इनकी अच्छी मांग रहती है।

पहाड़ी व्यंजनों की रेहड़ी या स्टाल

घरेलू उत्पादों के द्वारा जायकेदार व्यंजनों की स्टाल लगाकर रोजगार करना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। वैसे प्राथमिक स्तर पर यह प्रचलन में अभी कम आया है किंतु एक तरह से देखा जाय तो बहुत ही उत्तम माध्यम है उत्तराखंड के स्थानीय पकवान जैसे कि राजमा चावल, कड़ी भात, भटट के डुबके, आदि के लिए पहाडों को विशेष तौर पर जाना जाता है ऐसे में यहाँ पहुँच रहे देश विदेश के लोगों को यहाँ के पकवानों से अवगत कराना एक तरह से पर्यटकों को अपनी तरफ खींचने जैसा ही होगा साथ ही राज्य के लोगों को रोजगार के भी अवसर प्रदान हो जाएंगे। यहां पर पहाड़ो के पकवानों में भांग की चटनी, आम की चटनी, हरि सब्ज़ियों में मेथी चौलाई जैसी सब्ज़ियों को भी परोसकर स्वाद बढ़ाया जा सकता है और इन्हें बनाये जाने के तरीकों को साझा करके अन्य लोगों को भी सिखाया जा सकता है। इस तरह के भोजनालयों के द्वारा पारंपरिक खान पान उपलब्ध कराए जाने से यहाँ के क्षेत्रों में पयर्टकों की आवाजाही भी बढ़ेगी और उत्पादों की बिक्री भी की जा सकेगी। इसके साथ ही यह पर भोजन के साथ पहाडों पर घरेलू स्तर पर बनाये जाने वाले उत्पादों का भी विपणन करना आसान होगा जैसे कि यह पर लोग अपना जीविकोपार्जन कर सकते हैं।

नये पर्यटन क्षेत्रो का विकाश व् खोज

उत्तराखंड में पर्यटन के स्थलों को विकसित करके भी प्रदेश में रोजगार के माध्यम बढ़ाये जा सकते हैं। सुंदर वातावरण के साथ रमणीय दृश्यों और भगौलिक परिस्थितियों से सुसज्जित होने के कारण हमारे पहाडों का मौसम और शांति पूर्ण वातावरण के लिए विश्व प्रसिद्ध है इसमें कोई दो राय नही है कि यह देश विदेश से लोग इसी माहौल की तलाश में भ्रमण पर आते हैं। यदि युवाओं का योगदान और रुचि इस तरफ आकर्षित की जाय तो कई तरह के क्रियाकलापों को करके पर्यटन को राज्य में रोजगार का और भी सशक्त माध्यम बनाया जा सकता है क्योंकि यहां पर एडवेंचरल एक्टिविटी कराने तथा बाहरी लोंगो से संचार करने के लिए भी शिक्षित लोगों की आवश्यकता रहती है जो कि राज्य में भ्रमण पर आए सैलानियों तथा स्थानीय उत्पादको के बीच टूरिस्ट गाइड बनकर सम्प्रेषण का काम करे। इसके अलावा हर स्थान का अपना एक अलग महत्व होने के चलते इन विशेषताओं से भी उन्हें परिचित कराए ताकि वे इन पहाड़ियों की तरफ अन्य लोगों का भी रुझान बढ़ाये और रोजगार के अन्य माध्यम विकसित हो सके। एडवेंचर की एक्टिविटी के तौर पर  पैराग्लाइडिंग, रीवर राफ्टिंग जैसे साहसिक खेलों को बढ़ावा देकर भी यहाँ पर पर्यटकों को लुभावने अवसर प्रदान किये जा सकते हैं। और इससे यहां की नई युवा पीढ़ी को भी रोजगार मिलेगा। इस दौरान यहां के लोगों द्वारा बनाये गए उत्पादों से भी उन्हें परिचित कराया जा सकता है जिससे वह अपने गंतव्य पहुँचकर इसकी जानकारी अन्य लोगों तक पहुचायेंगे। 

क्या सच में उत्तराखंड के युवाओं के पास काम नहीं है? क्या सच में उत्तराखंड के युवाओं के पास काम नहीं है? Reviewed by From the hills on August 10, 2019 Rating: 5

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