Migration Diaries: क्यों छूट रहा है पहाड़ का आँगन?
सुबह की धूप अब भी ढलान पर झुलसाती है, पर गाँव में सिर्फ़ आवाज़ें गूँजती हैं—खाली घरों की, बिखरे बर्तनों की, और उन women left behind की जो अब भी चूल्हे के पास बैठकर बेटे का इंतज़ार करती हैं।
धरती का दिल कहाँ धड़कता है?
चमोली ज़िले का सुनाड़ गाँव आज ghost village बन चुका है। 32 घर थे, अब 6 में सिर्फ़ बुज़ुर्ग बाकी हैं। दरवाज़े पर सूखे बेर के पत्ते, आँगन में घास, और दीवार पर लिखा एक नोट: “15 जून 2022, दिल्ली के लिए निकले।”
“हमारे खेत अब जंगल बन गए हैं। बेटा कहता है—माँ, यहाँ रहोगी तो बीमार पड़ोगी।”
— गंगा देवी, 72 वर्ष
Palayan के पाँच सबसे बड़े कारण
- रोज़गार की कमी
- स्वास्थ्य सेवाएँ अनुपलब्ध
- शिक्षा का अभाव
- जलवायु परिवर्तन
- कनेक्टिविटी और इंफ़्रास्ट्रक्चर की कमी
क्या वापसी संभव है?
होमस्टे, ऑर्गेनिक फ़ार्मिंग और रिमोट वर्क जैसी नई कोशिशें एक उम्मीद हैं। लेकिन पलायन रोकने के लिए पहाड़ों को नीति के केंद्र में लाना होगा।
अगर आप भी उत्तराखंड के लिए कोई समाधान जानते हैं, तो नीचे कमेंट करें। एक साथ मिलकर हम पहाड़ का आँगन फिर से गुलज़ार कर सकते हैं।
— From the hills editorial team